संताें ने कहा मानवता अाैर कर्म की महत्ता काे समझाती है श्रीमद्भगवद गीता

बीकानेर | मानवता अाैर कर्म के सिद्धांताें काे अात्मसात करने की प्रेरणा देती है श्रीमद्भगवद गीता। गीता के अादर्शाें काे अपनाकर हम जीवन में श्रेष्ठता के प्रतिमान स्थापित कर सकते है। गीता जयंती के माैके पर रविवार काे मुरलीमनाेहर धाेरा सहित विभिन्न मंदिराें में हुए गीता पाठ के दाैरान संताें ने गीता के सिद्धांताें की जीवन में महत्ता बताते हुए श्रीमद्भगवद गीताें काे जीवन का हिस्सा बनाने का अाह्वान किया। गीता जयंती अायाेजन के तहत भीनासर स्थित मुरलीमनाेहर धाेरा पर गीताजी का सामूहिक पाठ अाैर स्वामी रामसुखदास जी महाराज द्वारा लिखी साधक संजीवनी का वाचन किया गया। इस माैके पर संत स्वामी श्रीनारायण महाराज, स्वामी किशनदास महाराज, गाेविंद महाराज व डूं्गरराम महाराज ने गीता की महत्ता बताई। अायाेजन के दाैरान संत रघुवीर महाराज, विष्णुदास महाराज सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु माैजूद थे। वहीं धनीनाथ गिरि मठ पंच मंदिर में गीता जयंती के माैके पर स्वामी रामकृष्णनंद महाराज के सानिध्य में जयंती समाराेह हुअा। प्रारंभ में पं.मुरली मनाेहर व्यास ने गीता पूजन व अारती की। इस दाैरान सामूहिक गीता पाठ हुअा। सखा संगम की ओर से मौनी एकादशी व गीता जयंती पर सखा संगम की ओर से गीता का महत्व आज के संदर्भ में चर्चा की गई है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हीरालाल हर्ष ने कहा कि गीता आज की जरूरत है। चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता एक एेसा शास्त्र है जिसमें एक भी शब्द सदुपदेश से खाली नहीं है । एनडी रंगा, बृजगोपाल जोसी, खूमराज पंवार, नागेश्वर जोसी, जन्मेजय व्यास व राजेंद्र जोशी ने विचार रखे।

बड़ा गाेपालजी मंदिर में गीता के 18 अध्यायाें का वाचन किया

गीता जयंती व माेक्षदा एकादशी के माैके पर दम्माणी चाैक स्थित बड़ा गाेपालजी मंदिर में विभिन्न कार्यक्रमाें का अायाेजन किया गया। मंदिर ट्रस्ट के नारायण दास व्यास ने बताया कि अायाेजन के दाैरान बड़ा गाेपालजी का विशेष पूजन कर फूलाें से श्रृंगार किया गया पुजारी सन्नूलाल ने मंगला अारती की। वहीं मंदिर परिसर में स्थापित भगवान विष्णु व लक्ष्मीनारायण की वेदमंत्राें के साथ अाराधना की गई। गाेपाल व्यास ने बताया कि इस माैके पर 21 वेदपाठी पंडिताें ने श्रीमद्भगवद गीता केे 18 अध्यायाें का वाचन किया। महाअारती के बाद पंचामृत का वितरण किया गया।