100 फीसदी का एंबीशन बेमानी, एक तकलीफ पर अटक कर 99 सुखों से खुद को दूर न कर लें


भास्कर उत्सव की पहली शाम बुधवार को इंटरनेशनल लाइफ कोच गौर गोपाल दास ने कभी श्लोक तो कभी जोक सुनाकर जिंदगी का प्रेक्टिकल ज्ञान लेकसिटी के बाशिंदों को दिया। उन्होंने कहा, 32 दांत हैं। एक-दो के बीच आम या भुट्‌टे का फाइबर फंस जाए तो इस एक तकलीफ पर न अटकें। बाकी 31 दांतों का मजा लें। किसी की लग्जरी कार देख अपने व्हीकल की खुशी खुद से दूर न होने दें। सौ सुखों के बीच एक परेशानी पर 99 का मजा किरकिरा न होने दें। फतहसागर किनारे इंद्रलोक गार्डन में शाम सर्द होने के बावजूद हजारों शहरवासी मोटिवेशनल स्पीच सुनने के लिए डटे रहे।

ये भी थे मौजूद : भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, कांग्रेस देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला, सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा, उप महापौर पारस सिंघवी, एआईसीसी सदस्य विवेक कटारा, यूआईटी सचिव अरुणकुमार हसीजा, डीएसओ ज्योति ककवानी, माहेश्वरी समाज अध्यक्ष सत्यनारायण माहेश्वरी, आईआईएम की एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर शानू लोढ़ा, ट्रैफिक डीएसपी नेत्रपाल सिंह, पार्षद हितांशी शर्मा, डॉ. सोनिका जैन, आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. लाखन पोसवाल, अंबा माता थानाधिकारी लक्ष्मण राम बिश्नोई, एमडीएस के निदेशक शैलेंद्र सोमानी, डीपी ज्वैलर्स से आशीष सहलोत, पेसिफिक यूनिवर्सिटी से कपिल वर्मा, ऐश्वर्या कॉलेज से सीमा सिंह, दक्ष ऑटो प्राइवेट लिमिटेड से विकास श्रीमाली, अनुष्का एकेडमी से राजीव सुराणा, महालक्ष्मी बिल्ड होम से दिनेश बजाज, आर्ची अरिहंत से संभव भाटिया, मुंदड़ा डवलपर से रवि मुंदड़ा, गणपति ग्रीन्स से जय राज, एडवोकेट कंचनसिंह हिरन।

गौर गोपाल दास का स्वागत करते दैनिक भास्कर के मैनेजिंग एडिटर जगदीश शर्मा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास और राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी।

सर्द शाम में स्पीरिच्युअल गुरु गौर गोपाल दास को सुनने डटे रहे हजारों शहरवासी, मेहमानों में थे राजनीति के दिग्गज और पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारियों समेत कारोबार जगत से जुड़े प्रमुख चेहरे

दैनिक भास्कर के सीओओ वारीश तिवारी।

मोटिवेशनल स्पीच के साथ लाफ्टर सेशन... हास्य से सिखाया जीवन की कठिनाइयों से सामना करना

मौके भुनाएं, बदतर हालात को भी अनुकूल करें

जीवन भी आइसक्रीम और मोमबत्ती की तरह है। लगातार पिघल रही है। आइसक्रीम की तरह स्वार्थी न बनें, जो जमे रहने तक ही खुशी देती है। मोमबत्ती की तरह पल-पल पिघलते हुए रोशनी देते रहें। गाजर जैसी मुसीबत आए तो हलवा बना लें, नींबू जैसी चुनौती आए तो शिकंजी बना लें। जीवन जो भी विपरीत परिस्थिति दे, उसे अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करते रहें।

पार्षद हितांशी शर्मा

माहेश्वरी समाज के अध्यक्ष सत्यनारायण माहेश्वरी।

यूआईटी सचिव अरुण हसीजा।

भाजपा शहर जिला अध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली।

कांग्रेस देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला।

सक्षम से जुड़कर अक्षम तक पहुंचाएं खुशियां

बल्ब की तरह कनेक्ट हाेना जरूरी है। बल्ब का कनेक्शन जैसे ही बिजली से होता है तो अंधकार से प्रकाश हो जाता है। अगर एक-दूसरे से संबंध बनाएंगे तो अंधेरा मिटेगा और जीवन में खुशी का उजास फैलेगा। ऐसे समझें कि अपने मुकाबले सक्षम से जुड़ें। ज्ञान, धन-सुविधा या जाे भी आप ले सकें, वह लें और उसे धरोहर मानकर अपने से कम सक्षम की ओर डायवर्ट करें।

जोक : आप महिला हैं तो पति या पुरुष हैं तो प|ी के फोटो को मोबाइल का वॉल पेपर बना लें। कभी भी कोई परेशानी या तकलीफ हो तो मोबाइल में यही फोटो देखें। फिर सोचें- अगर मैं इसे झेल सकता या सकती हूं तो दूसरी कोई भी परेशानी बड़ी नहीं है।

लर्निंग : कोई भी परेशानी बड़ी नहीं होती। उसे देखने का नजरिया डवलप करने की जरूरत होती है। यह हम पर निर्भर है कि हम हालात को चुनौती मानते हैं या उसे भी मुस्कराने के किसी माैके में तब्दील कर लेते हैं।

जोक : पति से प|ी बोली- डॉक्टर ने सेहत के लिए घूमने-सैर को कहा है। क्या अमेरिका चलें? पति चुप। प|ी फिर बोली- पेरिस चलें? पति चुप। प|ी ने बेरुखी से कहा- तो फिर गोवा चलें? पति इस बार भी चुप। प|ी झल्लाई- कुछ बोलते क्यों नहीं, कहां चलें। पति ने कहा- दूसरे डॉक्टर के पास।

लर्निंग : रिश्तों में मिठास बनी रहनी चाहिए। कभी माफी मांग लें, कभी माफ कर दें। रिश्ते और परिवार बने रहे तो खुशियां कभी दूर नहीं होंगी। याद रखें- गुस्सा, आंसू तो आ ही जाएंगे, प्यार और मुस्कान च्वाइस है।

इंदिरा आईवीएफ के चेयरमैन अजय मुर्डिया, आईजी बिनीता ठाकुर, कलेक्टर आनंदी सहित अन्य अतिथि।

उप महापाैर पारस सिंघवी

दूसरों से तुलना करते रहे तो खुद को कब देखेंगे, सहेजकर रखें रिश्ते

दूसरों से तुलना सबसे बड़ा कीड़ा है, जिसे सब बचपन से भोगते आ रहे हैं। होड़ में दूसरों को ही देखते रहे तो खुद काे कब देखेंेगे। हम इसी होड़ में कमाना और पाना तो सीख गए, लेकिन जीना और खुश रहना भूल गए हैं। नहीं भूलें कि उस दौलतमंद से बड़ा गरीब कोई नहीं, जिसके आंसू पोंछने वाला कोई नहीं होता। और उस गरीब से बड़ा कोई दौलतमंद नहीं, जिसके सुख-दुख में हजारों लोग साथ खड़े रहते हैं।

सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा